‘आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए ‘आकड़ों पर आधारित साक्ष्य ’ तैयार करने पर बल दिया प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने - गोवा में 9वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) के समापन सत्र मे

‘आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए ‘आकड़ों पर आधारित साक्ष्य ’ तैयार करने पर बल दिया प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने - गोवा में 9वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) के समापन सत्र मे
Panaji / December 11, 2022

पंजिम (गोवा), 11 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के प्राचीन ज्ञान पर आधारित आयुर्वेदिक पद्धति को पूरी मानवता के लिए स्वास्थ्य एवं आरोग्य की एक समग्र प्रणाली बताते हुए पूरे विश्व में इसको मान्यता दिलाने के लिए इसके गुणों के बारे में ‘आंकड़ों पर आधारित साक्ष्य ’के विधिवत दस्तावेजीकरण पर बल दिया है।    

श्री मोदी ने रविवार को यहां  विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) एवं आरोग्य एक्सपो, 2022 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि विश्व भर में आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों पर आधारित उत्पादों की बढ़ती मांग से भारत में तेजी से बढ़ रहे आयुष उद्योग के लिए बड़ी संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में आयुष उद्योग में इस समय 40 हजार से अधिक सूक्ष्म , लघु और मझोले (एमएसएमई) इकाइयों काम कर रही है। वर्ष 2014-15 के 20,000 करोड़ रुपये के उत्पादन की तुलना में सात-आठ साल में इस क्षेत्र का उत्पादन सात गुना बढ कर 1,50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। श्री मोदी ने एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया हर्बल उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह दस लाख करोड़ रुपये के बराबर है और तेजी से बढ रहा है। इसमें भारतीय इकाइयों के लिए विशाल अवसर प्राप्त होने , आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने तथा युवाओं के लिए रोजगार के लाखों अवसर पैदा होने की संभावना है।     

श्री मोदी ने डब्ल्यूएसी में आए देश विदेश के प्रतिनिधियों से आयुर्वेद को प्रमाणित स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में विश्व स्तर पर स्थापित  करने के भारत के प्रयासों में जुड़ने और सहयोग करने का आह्वान  किया। श्री मोदी ने आयुर्वेद को अपेक्षित मान्यता मिलने में इतनी देरी के बारे में  कहा, ‘हमारे पास आयुर्वेद का परिणाम भी था, प्रभाव भी था लेकिन प्रमाण के हम पीछे छूट रहे थे। ’ प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान साक्ष्य पर चलता है , ‘इस लिए आज हमें आयुर्वेद के संबंध में डाटा बेस्ड एविडेंस (आंकड़ों पर आधारित साक्ष्य) का दस्तावेजीकरण करना होगा।’ 

उन्होंने  जोर दिया कि आधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों पर हर दावे को सत्यापित करने के लिए हमारे चिकित्सा डेटा, शोध और पत्रिकाओं को एक साथ लाना होगा। इस दिशा में किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने साक्ष्य-आधारित अनुसंधान डेटा के लिए एक आयुष अनुसंधान पोर्टल के निर्माण का उल्लेख किया।  उन्होंने  बताया कि अभी तक लगभग 40 हजार शोध अध्ययनों के आंकड़े उपलब्ध हैं और कोरोना काल में हमारे पास आयुष से संबंधित लगभग 150 विशिष्ट शोध अध्ययन भी उपलब्ध हैं। श्री मोदी ने कहा कि , "हम अब 'राष्ट्रीय आयुष अनुसंधान संघ' बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।" 

प्रधानमंत्री  ने कहा कि "आयुर्वेद उपचार से भी आगे बढ़ कर  कल्याण को बढ़ावा देता है"। उन्होंने कहा कि आज 30 से अधिक देशों ने आयुर्वेद को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने आयुर्वेद की व्यापक मान्यता सुनिश्चित करने के लिए और अधिक निरंतर काम करने का आह्वान किया।    आयुर्वेद और अन्य परंपरागत  आयुर्वेद में नयी गतिशीलता लाने और इसे एक प्रमाणिक और सस्ती समग्र-उपचार प्रणाली के रूप में विश्व-स्तर पर पहुंचाने का प्रयास है। विज्ञान भारतीय की पहल ‘विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन’ केंद्रीय आयुष मंत्रालय और गोवा सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में 40 देशों के 400 से अधिक प्रतिनिधियों समेत कुल पांच हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

समापन समारोह में गोवा के राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लै, मुख्यमंत्री डा प्रमोद सावंत ,केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्रीयुत श्रीपद यशो नाइक , केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्री मुंजपरा महेंद्र भाई  और विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ शेखर मांडे भी उपस्थित थे।    

नौवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के समापन सत्र में मेजबान गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने राज्य में अलग से आयुष मंत्रालय शुरू करने की  घोषणा की। प्रतिनिधियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। गोवा यह घोषणा करने वाला पहला राज्य बताया जा रहा है।   

श्री मोदी ने समापन समारोह के प्रारंभ में रिमोट कंट्रोल से पट्टिका अनावरण कर तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों को राष्ट्र को समर्पित किया । इनमें गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम), गाजियाबाद और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), दिल्ली शामिल हैं। श्री मोदी ने कहा कि ये  संस्थान इस क्षेत्र में अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करेंगे और सस्ती आयुष सेवाओं की सुविधा भी प्रदान करेंगे।   लगभग 970 करोड़ रुपये की कुल लागत से विकसित, ये संस्थान लगभग 500 अस्पताल के बिस्तरों को जोड़ने के साथ-साथ छात्रों की संख्या में लगभग 400 की वृद्धि करेंगे।     

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन ऐसे समय किया जा रहा है जब आजादी का अमृत काल की यात्रा चल रही है। अमृत काल के प्रमुख संकल्पों में से एक भारत के वैज्ञानिक, ज्ञान और सांस्कृतिक अनुभव से वैश्विक कल्याण सुनिश्चित करना है और इसके लिए आयुर्वेद एक सशक्त और प्रभावी माध्यम है।’

उन्होंने  भारत की जी-20 अध्यक्षता में इस मंच के  लिए घोषित मुख्य संदेश 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, "आयुर्वेद उपचार से परे है और कल्याण को बढ़ावा देता है।" दुनिया अब जीवन के इस प्राचीन तरीके की ओर बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत में आयुर्वेद के संबंध में काफी काम पहले से ही चल रहा है। उस समय को याद करते हुए जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने आयुर्वेद से संबंधित संस्थाओं को बढ़ावा दिया था और गुजरात आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की उन्नति के लिए काम किया था। परिणामस्वरूप, प्रधान मंत्री ने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जामनगर में पारंपरिक दवाओं के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र स्थापित किया।       

उन्होंने  इस साल की शुरुआत में हुए ग्लोबल आयुष इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट समिट का उल्लेख करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के प्रयासों की भरपूर प्रशंसा कर रहा है। उन्होंने विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को स्वास्थ्य और कल्याण के वैश्विक त्योहार के रूप में मना रहा है तथा , "एक समय था जब योग को उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन आज यह पूरी मानवता के लिए आशा और अपेक्षाओं का स्रोत बन गया है।"

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