भारत ने आयुर्वेद में सहयोग के लिए क्यूबा के साथ किया समझौता, यूरोपीय संस्थान के साथ समझौते का नवीनीकरण

भारत ने आयुर्वेद में सहयोग के लिए क्यूबा के साथ किया समझौता, यूरोपीय संस्थान के साथ समझौते का नवीनीकरण
Panaji / December 10, 2022

पंजिम (गोवा), 10 दिसंबर: आयुर्वेद के लाभ को विश्व स्तर पर प्रचारित -प्रसारित करने के प्रयास तथा आयुर्वेदिक एवं  पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान एवं कौशल विकास में परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने  यूरोप और लातीनी अमेरिका के दो प्रतिष्ठित संस्थान के साथ सहयोग के दो अलग अलग करार किए हैं। 

आयुष मंत्रालय के तहत काम करने वाले नयी दिल्ली संस्थान स्वायत्त निकाय अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की निदेशक डॉ तनूजा मनोज नेसारी ने गोवा में चल रहे 9वें विश्व आयुर्वेद महासम्मेलन एवं आरोग्य प्रदर्शनी के दौरान यहां भारत सरकार की ओर से और जर्मनी स्थित रॉजेनबर्ग यूरोपियन एकेडमी ऑफ आयुर्वेद (आरईएए)  तथा क्यूबा  की सरकारी संस्था यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज हवाना (यूसीएमएच) के साथ करार (एमओयू)  के दस्तावेजों का अलग-अलग  आदान-प्रदान किया।  भारत ने जर्मनी के संस्थान से अपने पिछले पांच वर्ष के समझौते का पांच वर्ष के लिए नवीनीकरण किया है तथा क्यूबा के चिकित्सा  विश्वविद्यालय के साथ समझौता नया है।  

जर्मनी के  प्रतिष्ठित संस्थान आरईएए के निदेशक  मार्क रॉजेनबर्ग और भारत में क्यूबा के राजदूत ऐलेजैंड्रो सिमांका मरीन ने डा नेसारी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए । आरईएए के साथ पिछला समझौता सितंबर 2017 में किया गया था ।

ये दोनों नए करार पांच वर्ष के लिए किए गए है। 

डा नेसारी ने कहा, ‘ हम ऐसे करार भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए एक मानक दस्तावेज के अनुसार करते हैं। इनके अंतर्गत मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों- अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान में सहयोग, कौशल विकास तथा रोगों के उपचार के क्षेत्र में अनुभवों का आदान-प्रदान शामिल है। ’ उन्होंने कहा, ‘हम इसके जरिए इन देशों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं और इस क्षेत्र में उनके साथ सहयोग करना चाहते हैं। ’          उन्होंने कहा कि इन समझौतों के साथ एआईआईए अमेरिका के हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल साइसेंज, तथा ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन सहित विभिन्न देशों में कुल 15 संस्थानों और 25  राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘ हम नयी तकनीकों और विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में हो रहे कार्यों का  आयुर्वेद के क्षेत्र में लाभ उठाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) तथा अन्य तकनीकी संस्थानों के साथ सहयोग कर रहे हैं।   

डॉ नेसारी उन्होंने बताया कि हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल साइसेंज तथा लंदन के संस्थान के साथ कोविड19 के कारण लंबे समय तक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना कर रहे रोगियों पर ‘गुरुच’और ‘अश्वगंधा’ के गुणकारी प्रभावों के अध्ययन और परीक्षण के काम में सहयोग किया जा रहा है। लंदन की संस्था के साथ वहां कोविड 19 से लम्बे समय तक पीड़ित 2000 रोगियों पर अश्वगंधा को लेकर क्लिनिकल परीक्षण का समझौता है।  डॉ नेसारी ने कहा, ‘भारत में अश्वगंधा के साथ प्रयोग की सफलता के साथ हम दुनिया दुनिया के सामने विश्वास के साथ कह सकते हैं कि इस औषधीय पाद के गुणों को सिद्ध करने के लिए हमारे पास पूरे साक्ष्य हैं।’

 

क्यूबा के साथ हुए करार के अनुसार दोनों संस्था आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान में सहयोग , पूर्ण हो चुकी अध्ययन रिपोर्टों का प्रचार-प्रसार, आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के सिद्धांतों और अभ्यासों को जोड़ने, एक दूसरे के साथ मिल कर कार्यशालाओं ,संगोष्ठियों , सम्मेलनों  का आयोजन , क्यूबा में आयुर्वेद के प्रयोग को सुरक्षित बनाने में परामर्श देना, संस्थान, उपभोक्ताओं और हितधारकों की आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक मानक और पाठ्यक्रम विकसित करना , क्यूबा में आयुर्वेद की शिक्षा के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत विकसित करना और पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए सहयोग तथा क्यूबा में इस क्षेत्र से संबंधित सूचनाओं के स्रोत के रूप में सहयोग करने के प्रावधान शामिल हैं। 

एआईआईए भारत में आयुर्वेद का एक शीर्ष संस्था है। यहां रोगियों की देखभाल के लिए उन्नत सुविधाएं हैं और दूसरे अस्पतालों से जटिल रोग वाले मरीज भी यहां भेजे जाते हैं। इस संस्थान का  प्राथमिक उद्देश्य आयुर्वेद के क्षेत्र में भविष्योन्मुख पहल को आगे बढ़ाना तथा आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी के बीच एक तालमेल बनाने की दिशा में काम करना है  तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उच्चतम मानकों को स्थापित करना है। 

संस्थान के पास 200 बेड का  रेफरल अस्पताल है  जहां चिकित्सा अनुसंधान भी किए जाते हैं । संस्थान आयुर्वेद के विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है और आयुर्वेद, औषधि विकास, मानकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा के वैज्ञानिक सत्यापन पर मौलिक शोध कराता  है।

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