विश्व आयुर्वेद कांग्रेस: विशेषज्ञों ने आयुर्वेद में नई पद्धतियों और अनुसंधान के लिए ठोसपक्ष रखा

विश्व आयुर्वेद कांग्रेस: विशेषज्ञों ने आयुर्वेद में नई पद्धतियों और अनुसंधान के लिए ठोसपक्ष रखा
Panaji / December 10, 2022

पणजी, 10 दिसम्बर: यहां9वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) में विशेषज्ञों ने कहा कि पारंपरिक वेलनेस सिस्टम में नई पद्धतियोंकी अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए व्यापक प्रौद्योगिकी-आधारित अनुसंधान और इसे एक वैश्विक ब्रांड बनाने और इसके उत्पादों को प्रभावी और सफल बनाने के लिए एक ठोस दिशा-निर्देश की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “आयुर्वेद में नवाचार की अपार संभावनाएं हैं। सुपरकंप्यूटर से अधिक उन्नत तकनीक विकसित करने की भी कम चुनौतियां नहीं हैं। हमें संगणना के उन क्षेत्रों पर काम करना होगा जिनके बारे में अभी तकज्ञात नहीं है,"पद्म भूषण डॉ.विजय भाटकर ने ‘इनोवेशंस एंड एंटरप्रेन्योरज इन आयुर्वेद’ ('आयुर्वेद में नवाचार और उद्यमी')पर एक पूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा।

"मैं नवाचार के नए विचारों को जानने को उत्सुक हूं और मुझे यकीन है कि इस कांग्रेस से नए विचार निकलेंगे। हमें आयुर्वेद के रहस्यवाद को दिखाना होगा।”

डॉ. अनिरुद्ध जोशी, जिन्हें नाड़ी देखने के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित यंत्र, पुरस्कार विजेता ‘नाड़ी तरंगिनी’ विकसित करने का श्रेय दिया जाता है, ने कहा कि वह पहने जा सकने वाले ऐसे यंत्रों को तैयार करने की परिकल्पना कर रहे हैं जो मानव शरीर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकें।

“यह बहुत मददगार होगा अगर हम ऐसे पहनने योग्य यंत्रतैयार कर सकें जो ‘अष्ट-विधा-परीक्षा’ कर सकें। हम चाहते हैं कि एक बीमारी के विभिन्न चरणों के बारे में हम बता सकें, ताकि अगर हम इसे होने बेशक रोक न पाएं तो कम से कम हम इसे कुछ समय के लिए टाल तो सकें," उन्होंने समझाया।

अपनी समापन टिप्पणी में, डॉ. भटकर ने कहा, "नाड़ी तरंगिणी जैसे नए यंत्रों को विकसित करने की आवश्यकता है। हमें अपने उत्पादों के विपणन, पैकेजिंग, विज्ञापन और उनके बारे में दुनिया को कैसे बताया जा सकता है,उनके तरीकों के बारे में सोचना होगा।''

आइक्सोरियल बायोमेड इंक के सीईओ श्री कार्तिकेय बलदवा ने कहा कि आखिरकार आयुर्वेद ने अपनी जगह बना ली है, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। "उत्पादों की सफलता सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है, लेकिन इसके लिए गुणवत्ता, प्रभावकारिता, ब्रांडिंग, विपणन और नवाचार की आवश्यकता होगी," उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा।

पुणे स्थित गैस्ट्रोलैब इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक-निदेशक डॉ. अजीत कोलाटकर ने कहा कि आयुर्वेद को इस तरह से आगे बढ़ना होगा कि एक डॉक्टर न्यूनतम उपकरणों का उपयोग करके रोगी की बीमारियों का निदान कर सके।

''आयुर्वेदिक नजरिए से हमें बुनियादीअनुसंधान से शुरुआत करनी होगी। ठोस दिशा-निर्देश होने चाहिए। समकालीन विज्ञान के संदर्भ में आयुर्वेद पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। ऐसे कई प्रमुख क्षेत्र हैं जहां आयुर्वेद महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है," उन्होंने कहा।

आयुर्वेदिक स्वास्थ्य और वेलनेस प्लेटफॉर्म, ‘आयुर्वेद एक्सपीरियंस’ के संस्थापक श्री ऋषभ चोपड़ा ने कहा कि अश्वगंधा अब पश्चिम में एक लोकप्रिय उत्पाद बन गया है। हालांकि, आयुर्वेदिक उत्पादों को विश्व स्तर पर स्वीकार्य बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि अश्वगंधा, हल्दी और योग पश्चिम में सबसे अधिक ऑनलाइन खोजे जाने वाले शब्द हैं।

 

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