आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए नियामक प्लेटफॉर्म स्थापित करेगा डब्ल्यूएचओ: अधिकारी

आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए नियामक प्लेटफॉर्म स्थापित करेगा डब्ल्यूएचओ: अधिकारी
Panaji / December 8, 2022

पणजी, 08 दिसंबर:विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े  चिकित्सकों के लिए एक बहु-देशीय नियामक सहयोगप्लेटफॉर्म)(रेगुलेटरीकोपरेशनप्लेटफॉर्म)स्थापित करने पर विचार कर रहा है, जो 10 से 15 वर्षों की अवधि के भीतर आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकृति और पहुंच में तेजी लाएगा,डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी ने आज सम्मेलन के दौरान कहा।

डब्ल्यूएचओ, जिनेवा केपारंपरिक चिकित्सा,  तकनीकी अधिकारी, डॉ. गीता कृष्णन ने कहा,“रोकथाम, जल्दी पता लगना और स्वस्थ जीवन जीया जा सके, इसके सुधार के लिए पुनर्वास, भविष्य में हमारी प्राथमिकताओं में से हैं। इन गतिविधियों के आधार पर हमें यह समझना होगा कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 500,000 से अधिक पंजीकृत चिकित्सकों का लाभ कैसे उठाया जाए।

डॉ.कृष्णन गुरुवार को कैंपलग्राउंड्स में शुरू हुए विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) और आरोग्य एक्सपो2022 के 9वें संस्करण में 'आयुर्वेद के विस्तार की संभावना' पर एक सत्र में बोल रहे थे। आयुष मंत्रालय और गोवा सरकार के सहयोग से विज्ञान भारती की एक पहल, विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन द्वारा चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूएचओ की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र निकाय आयुर्वेद के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल, इसकी पद्धतियों को विनियमित करने के लिए निर्धारित मानक और एक मानकीकृत शब्दावली दस्तावेज लेकर आया है जो आयुर्वेद चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा के साथ आसान तरीके से संपर्क स्थापित करने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया, "डब्ल्यूएचओ का पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र  अधिक साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद लाने के लिए दुनिया भर में कई सरकारों के साथ काम करेगा। हम आयुर्वेद को रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण में शामिल करने के लिए काफी काम कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि आयुर्वेद व्यक्तियों और समुदाय के लिए एक सस्ती स्वास्थ्य प्रणाली है, यदि इन्हें उत्पादों, पद्धतियों और चिकित्सकों में विभाजित किया जाए तो सतत विकास लक्ष्योंको प्राप्त करने के लिए आयुर्वेदिक अवधारणाओं का पूरी तरह से उपयोग किया जा सकता है ।

उन्होंने कहा, "हम आयुर्वेद के लिए देशों की जरूरतों के हिसाब से मूल्यांकन कर रहे हैं और देशों को यह समझने में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे इसे और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों को अपने दायरे में नियंत्रितव शामिल कर सकते हैं।"

आयुर्वेद की वैश्विक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए डॉ. कृष्णन ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार इसका वैश्विक बाजार 2022 में 30 अरब डॉलर का है और डब्ल्यूएचओ के लगभग 93 सदस्य देश (एमएस) लोगों द्वारा आयुर्वेदका उपयोग किए जाने की बात को स्वीकार करते हैं। यही नहीं, 16सदस्य देश आयुर्वेद पद्धति को विनियमित करते हैं और पांच सदस्य देश आयुर्वेद के लिए बीमा कवरेज देनेमें सहयोग करते हैं।

डॉ. कृष्णन ने एक सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच के उपयोग और उसमें सुधार करने के लिए एक कार्यप्रणाली बनाने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "आयुर्वेद के अवसर जीवन के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक आयामों के क्षेत्र में निहित है।"

राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर-आयुषऔरयूजीसी के पूर्व उपाध्यक्ष, प्रो. भूषण पटवर्धनने आयुर्वेद को नवपरिवर्तनके स्रोत के रूप में देखने का आह्वान किया क्योंकि आयुर्वेद से नए विचारों के उभरने की बहुत बड़ी संभावना है।

आईआईटीजोधपुर के डॉ. बाला पेसाला ने कहा कि यह समय आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान को प्रभावी ढंग से जोड़ने का है।

अमृता सेंटर फॉरएडवांस्डरिसर्च इन आयुर्वेद (एसीएआरए), अमृतापुरी के निदेशक डॉ. राम मनोहर मॉडरेटर थे।

 

 

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