भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी: यूरोपीय संघ ने 102 नई मत्स्य प्रतिष्ठानों को मंजूरी दी

Kochi / September 11, 2025

कोच्चि, 11 सितंबर: एक महत्वपूर्ण विकास के तौर पर, जो देश के लचीले समुद्री खाद्य क्षेत्र को यूरोपीय बाजारों में गहरी पैठ बनाने और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा, यूरोपीय संघ ने अपने सदस्य देशों को भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात के लिए 102 अतिरिक्त मत्स्य प्रतिष्ठानों को मंजूरी दी है।

 इसके साथ ही, यूरोपीय संघ द्वारा अनुमोदित भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात इकाइयों की संख्या 538 से बढ़कर 604 हो गई है - जो अत्यधिक लाभप्रद यूरोपीय समुद्री खाद्य बाजार में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

यह ऐतिहासिक उपलब्धि वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा यूरोपीय संघ के अपने समकक्षों के साथ की गई कई बैठकों के बाद प्राप्त हुई है, जिसका उद्देश्य भारत के मजबूत समुद्री खाद्य नियंत्रण तंत्र में विश्वास को सुदृढ़ करना था।

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) और निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) ने भी समुद्री खाद्य मूल्य श्रृंखला में खाद्य सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करने के अपने निरंतर और समन्वित प्रयासों के माध्यम से इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 इस सराहनीय प्रगति का स्वागत करते हुए, एमपीईडीए के अध्यक्ष श्री डी. वी. स्वामी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो प्राथमिक उत्पादन से लेकर निर्यात तक खाद्य सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

उन्होंने बताया, "यूरोपीय संघ द्वारा अनुमोदित मत्स्य पालन प्रतिष्ठानों की संख्या सीमित होना उन देशों में हमारे समुद्री खाद्य निर्यात में एक बड़ी बाधा थी। अधिक इकाइयों की सूची हमारे निर्यातकों को उत्पादों की गुणवत्ता और विविधीकरण के माध्यम से प्रतिस्पर्धी यूरोपीय समुद्री खाद्य बाजार में अपनी उपस्थिति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।"

 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में भारतीय समुद्री उत्पादों के प्रमुख बाजार बेल्जियम, स्पेन और इटली हैं। 1 अक्टूबर 2025 को लागू होने वाले भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते से नॉर्वे और स्विट्जरलैंड जैसे ईएफटीए देशों के बाजारों में भी इसकी उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद है।

समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमपीईडीए की पहलों में जलीय कृषि में अच्छे प्रबंधन प्रथाओं (जीएमपी) के महत्व पर क्षेत्र-स्तरीय जागरूकता, खेतों का पंजीकरण जैसे ट्रेसेबिलिटी (पता लगाने की क्षमता) उपायों का कार्यान्वयन, कटाई-पूर्व परीक्षण (पीएचटी) के माध्यम से अवशेषों की निगरानी, और उत्पादन से प्रसंस्करण तक एचएसीसीपी प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना आदि शामिल है।

समुद्री खाद्य निर्यातक समुदाय ने इस समाचार का खुशी से स्वागत किया।

 गुजरात के ओलपाड स्थित मयंक एक्वाकल्चर प्राइवेट लिमिटेड (एमएपीएल) के प्रबंध निदेशक और प्रमुख श्रिम्प किसान एवं रेस्तरां व्यवसायी डॉ. मनोज शर्मा ने ट्वीट किया, "102 श्रिम्प प्रसंस्करण संयंत्रों के लिए यूरोपीय संघ से नई स्वीकृति प्राप्त करने में उनके अथक प्रयासों के लिए एमपीईडीए को बहुत-बहुत धन्यवाद। यह उपलब्धि निस्संदेह यूरोप को भारत के श्रिम्प निर्यात को बढ़ावा देगी और हमारे उद्योग को लाभान्वित करेगी।"

 तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित आइलैंड एक्सपोर्ट्स के संतोष प्रभु ने कहा, "हम विभिन्न माध्यमों के जरिए यूरोपीय संघ की स्वीकृति प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे। एमपीईडीए और ईआईसी के निरंतर प्रयासों से अब अंततः स्वीकृति मिल गई है।"

 कोलकाता स्थित बसु इंटरनेशनल के विजय गोपाल ने कहा, “अमेरिका के साथ टैरिफ का मुद्दा एक चुनौती और अवसर दोनों था क्योंकि इसने हमें यूरोपीय संघ जैसे नए बाजारों में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन के लिए हम एमपीईडीए का आभार व्यक्त करते हैं।"

 एलाफ़ कोल्ड स्टोरेज, तलोजा, महाराष्ट्र के अब्दुल्ला मेहता, ने कहा “हमने 2023 में यूरोपीय संघ की मंज़ूरी के लिए आवेदन किया था और आखिरकार वह मिल ही गई। हम पूरे आत्मविश्वास के साथ यूरोपीय संघ में प्रवेश करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं और आगे भी मजबूत कारोबार की उम्मीद करते हैं।”

समान अनुभवों को व्यक्त करते हुए, एस वी सीफ़ूड, तूतीकोरिन के श्री केसवन; पवन तिवारी, वरिष्ठ कार्यकारी, आशादीप एक्वाकल्चर प्राइवेट लिमिटेड, भुवनेश्वर; देवा सीफ़ूड, तूतीकोरिन के ज्ञानराजा; नियास कोया, मेसर्स फ्रंटलाइन एक्सपोर्ट्स; और दुर्गेश खोरावा, निदेशक, निशिइंडो फ़ूड्स प्राइवेट लिमिटेड, वेरावल, गुजरात ने अपनी कंपनियों को यूरोपीय संघ में सूचीबद्ध कराने में मदद करने के लिए एमपीईडीए और ईआईसी के प्रयासों की सराहना की।

 भारत ने 2024-25 के दौरान 62,408.45 करोड़ रुपये (7.45 बिलियन यूएस डॉलर) मूल्य का 16,98,170 मेट्रिक टन समुद्री खाद्य पदार्थ भेजा, जिसमें मुख्य रूप से मात्रा और मूल्य के लिहाज से प्रशीतित श्रिम्प रहा जहां अमेरिका और चीन देश के समुद्री खाद्य के प्रमुख आयातकों में से बन गए।

 भारत के लिए यूरोपीय संघ तीसरा सबसे बड़ा समुद्री खाद्य निर्यात गंतव्य है, जो भारत के कुल निर्यात का 15.10% है। 2024-2025 के दौरान यूरोपीय संघ को 215,080 मेट्रिक टन निर्यात हुआ, जिसका मूल्य 9429.56 करोड़ रुपये (1125.60 मिलियन यूएस डॉलर) था और इसने मात्रा और मूल्य के संदर्भ में सकारात्मक रुझान दिखाया। यूरोपीय संघ को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं श्रिम्प, कटलफिश और प्रशीतित स्किवड थीं।

 2024 के दौरान यूरोपीय संघ ने 67.84 बिलियन यूएस डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पादों का आयात किया, जिसमें भारत का हिस्सा केवल 1.50% था। भारत में प्रशीतित श्रिम्प, प्रशीतित सेफलोपोड्स, श्रिम्प, टूना आदि के अन्य तैयार और संरक्षित मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात में सुधार करने की महत्वपूर्ण क्षमता है, और अतिरिक्त इकाइयों की सूचीयन से ऐसे व्यापार रुझानों को बढ़ावा मिलेगा।

 

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