वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 7.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर का होगा: एमपीईडीए
प्रशीतित श्रिम्प निर्यात की प्रमुख वस्तु; अमेरिका और चीन शीर्ष आयातक
Kochi / August 23, 2025
कोच्ची, 23 अगस्त: भारत ने 2024-25 के दौरान 62,408.45 करोड़ रुपये (7.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य के 16,98,170 मेट्रिक टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया। मात्रा और मूल्य के मामले में प्रशीतित श्रिम्प ने शीर्ष निर्यातित वस्तु के रूप में अपनी प्रमुखता बनाए रखी, जबकि अमेरिका और चीन देश के समुद्री खाद्य के प्रमुख आयातक बन गए।
प्रशीतित श्रिम्प से भारत को 43,334.25 करोड़ रुपये (5,177.01 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की कमाई हुई, जिससे यह किस्म समुद्री खाद्य निर्यात की वस्तुओं में सबसे महत्वपूर्ण वस्तु के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम हुई। इस बात का खुलासा आज समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) ने किया।
मात्रा के संदर्भ में, प्रशीतित श्रिम्प की हिस्सेदारी 43.67 प्रतिशत थी, इस प्रकार कुल डॉलर आय का 69.46 हिस्सा प्राप्त हुआ। एमपीईडीए के अध्यक्ष श्री डी.वी. स्वामी ने यहां एक मीडिया सम्मेलन में बताया कि इस अवधि के दौरान श्रिम्प निर्यात में रुपये मूल्य में 8.30% और अमेरिकी डॉलर मूल्य में 6.06% की वृद्धि हुई।
2024-25 के दौरान प्रशीतित श्रिम्प का कुल निर्यात 7,41,529 मेट्रिक टन आंका गया था। अमेरिका, जो सबसे बड़ा बाजार है, ने प्रशीतित श्रिम्प का आयात (3,11,948 मेट्रिक टन) किया, उसके बाद चीन (1,36,164 मेट्रिक टन) का स्थान है। इस क्रम में अन्य शीर्ष आयातक यूरोपीय संघ (99,310 मेट्रिक टन), दक्षिण-पूर्व एशिया (58,003 मेंट्रिक टन), जापान (38,917 मेट्रिक टन) और मध्य पूर्व (32,784 मेट्रिक टन) हैं। वन्नामेई, ब्लैक टाइगर और स्कैम्पी (मीठे पानी का झींगा) के निर्यात में मात्रा और मूल्य दोनों में वृद्धि देखी गई।
दूसरी सबसे बड़ी निर्यातित वस्तु, फ्रोजन फिश, से 5,212.12 करोड़ रुपये (622.60 मिलियन डॉलर) की आय हुई।
तीसरी सबसे बड़ी निर्यातित वस्तु, फ्रोजन स्क्विड (चारे के रूप में प्रयुक्त एक प्रकार का घोंघा), से 3078.01 करोड़ रुपये (367.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की आय हुई, जो रुपये के मूल्य के संदर्भ में 0.54 प्रतिशत की सकारात्मक निर्यात रुझान को दर्शाता है।
श्री स्वामी ने प्रेस वार्ता में बताया कि सूखे उत्पादों का निर्यात 2,52,948 मेट्रिक टन रहा, जिससे 2852.60 करोड़ रुपये (340.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की आय हुई। इस प्रेस वार्ता में एमपीईडीए के निदेशक डॉ. राम मोहन एम.के. ने 20 मिनट का पावर-पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया।
फ्रोजन कटलफिश (समुद्रफेनी) ने मात्रा और अमेरिकी डॉलर में मूल्य के संदर्भ में क्रमशः 9.11 प्रतिशत और 3.99 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई। निर्यात 59,264 मेट्रिक टन था जिसका मूल्य 285.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
शीतित वस्तुओं के निर्यात से ₹659.41 करोड़ (78.79 मिलियन अमेरिकी डॉलर) प्राप्त हुए, जबकि समुद्री खाद्य वस्तुओं के निर्यात में मूल्य की दृष्टि से 15.21 प्रतिशत (56.01 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की वृद्धि हुई।
विदेशी बाजारों की बात करें तो, अमेरिका मूल्य की दृष्टि से भारतीय समुद्री खाद्य का प्रमुख आयातक बना रहा, जिसका आयात 2,714.94 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का था और जिसकी मात्रा 3,46,868 मेट्रिक टन थी। अमेरिका को निर्यात में अमेरिकी डॉलर में 6.50 प्रतिशत, रुपये में 8.76 प्रतिशत और मात्रा में 5.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत द्वारा अमेरिका के समुद्री खाद्य आयात में, प्रशीतित श्रिम्प अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 92.55 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ प्रमुख वस्तु बनी रही।
मात्रा के लिहाज से चीन भारत से समुद्री खाद्य निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य बनकर उभरा: 3,96,424 मेट्रिक टन, जिसका मूल्य 1,276.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। यूरोपीय संघ डॉलर के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य बना रहा, जिसने 2,15,080 मेट्रिक टन (1,125.60 मिलियन डॉलर) का आयात किया।
दक्षिण पूर्व एशिया 974.99 मिलियन डॉलर के मूल्य के 3,47,541 मेट्रिक टन के आयात के साथ चौथा सबसे बड़ा बाजार है। जापान 411.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य के 1,02,933 मेट्रिक टन के आयात के साथ डॉलर के लिहाज से पांचवां सबसे बड़ा आयातक बना रहा। मध्य पूर्व का 278.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य के 65,956 मेट्रिक टन के आयात के साथ डॉलर के लिहाज से छठा सबसे बड़ा स्थान है।
समुद्री खाद्य कार्गो को संभालने वाले शीर्ष दो बंदरगाह विजाग (आंध्र प्रदेश) और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (नवी मुंबई) थे।
सम्मेलन में एमपीईडीए के संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. एस. कंदन भी उपस्थित थे।
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