दिल्ली में शुरू हुई नीरजा पीटर्स की रूप भेद कला प्रदर्शनी

New Delhi / February 21, 2025

नई दिल्ली, 21 फरवरी: मेडिकल डॉक्टर से कलाकार बनीं नीरजा चांदना पीटर्स की बेमिसाल  प्रदर्शनी राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हो गई है। छह दिनों तक चलने वाली ‘रूप भेद’ नामक इस प्रदर्शनी में 80 अमूर्तवादी पेंटिंग्स शामिल हैं, जो गणितीय सटीकता से सराबोर एक प्रतीकात्मक महत्व रखती हैं।

क्यूरेटर उमा नायर ने गुरुवार शाम को बीकानेर हाउस में इस आर्ट शो की शुरुआत की घोषणा की और दर्शकों का स्वागत किया। इस प्रदर्शनी में कला संबंधी विभिन्न सामग्रियों से ज्यामितीय प्रतीकवाद की कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि कलाकार ऐक्रेलिक में चारकोल और पिगमेंट (रंगद्रव्य) के साथ-साथ लचकदार रेखाओं का जिस तरह से उपयोग करती हैं, वह दर्शाता है कि अद्वितीय संतुलन और सामंजस्य में वह कितनी गहन रुचि रखती हैं। इस शो में विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियां उपस्थित थीं।

उपस्थित अतिथियों में आर्ट हिस्टोरियन अमन नाथ और हृदय शल्य चिकित्सक डॉ. सतीश मैथ्यू के अलावा मॉडल-अभिनेत्री नेहा गुप्ता, कलाकार पूनम भटनागर और कलेक्टर फ्रांज मोजिस थे। हेरिटेज फोटोग्राफर मनोज अरोड़ा और हृदय शल्य चिकित्सक सतीश मैथ्यू ने नीरजा की पेंटिंग्स का कैटलॉग लॉन्च किया।

मोनोक्रोमैटिक दीवार से लेकर जादुई रंग वर्णों (टोन) तक, नीरजा की पेंटिंग्स "प्रकाश के प्रतिबिंब (रिफ्लेक्शन ऑफ लाइट) का शानदार परिणाम" हैं, 20 से 25 फरवरी तक चलने वाले रूप भेद के बारे में अमन नाथ ने कहा। यह अपने मूल देश में नीरजा का पहला सोलो शो है, जबकि उन्होंने विदेश में तीन एकल प्रदर्शनियां करने के अलावा 500 प्रदर्शनियों (ऑनलाइन और ऑफलाइन) में भी भाग लिया है।

इस शो में नीरजा की नवीनतम पेंटिग्स प्रदर्शित की गई हैं, जिन्होंने डेढ़ दशक पहले एक चिकित्सक के रूप में अपने कैरियर को अलविदा करते हुए पेंटिंग को अपनाया था। इंडिया गेट के पास 'बीकानेर हाउस' की मुख्य गैलरी में रूप भेद में बड़े और छोटे दोनों आकार की पेंटिंग प्रदर्शित हैं। गैलरी सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी।

उमा नायर ने कहा कि स्व-शिक्षित नीरजा, जो आध्यात्मिक यात्रा की प्रक्रिया में गहराई तक उतरी हुई अमूर्तता की खोज के लिए उल्लेखनीय कृतियां बना रही हैं, ने कला क्षेत्र में व्यापक रूप से प्रसिद्धि प्राप्त की है।

चंडीगढ़ में जन्मीं नीरजा एक प्रशिक्षित चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपने दो बच्चों की परवरिश करते हुए पेंटिंग करना शुरू किया था। उनकी कलात्मक यात्रा कविता लिखते-लिखते रंगों की दुनिया में प्रवेश करने तक की है। रंगों के रंग-रूप का उत्सव मनाते हुए, नीरजा ने खुद को दर्शक और सर्जक दोनों के रूप में स्थापित किया है।

 

 

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