पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के बीच के अंतराल को पाटना है गणेशा का लक्ष्य
Dehradun / December 15, 2024
Dehradun, 15 Dec: पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के बीच के अंतराल को पाटना ही गणेशा का लक्ष्य है। यह आयुर्वेदिक नेटवर्क फौर एक्सेलेंस इन साईंस हार्मोनाइजेशन यानी गणेेश हैं। गणेश का नाम जानबूझकर बुद्धि के गुरु भारतीय देवता भगवान गणेश के नाम पर रखा गया है क्योंकि गणेश लक्ष्य के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं।
यह जानकारी आज 10वें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं एक्सपो के हार्मोनाइजिंग साईंस एंड स्पिरिचुअलिटी पर आयोजित पूर्ण सत्र के दौरान स्कूल औफ आयुर्वेदिक मेडिसिन - आयुर्वेदिक प्वाइंट- के चेयरमैन और निदेशक डा. एंटोनियो मोरांडी ने दी। श्री मोरांडी इटली के साईटिफिक सोसाइटी फार आयुर्वेदिक मेडिसिन के अध्यक्ष और आयुर्वेद के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्शदाता भी हैं।
सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूपांतरण की राह में कई प्रकार की चुनौतियां हैं। आयुर्वेद को वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली बनाने के लिए हमें इनका सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जब हम विभिन्न ज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करते हैं तो हम एक सामूहिक बुद्धिमत्ता का सृजन करते हैं।
गणेश विश्व आयुर्वेदिक फाउंडेशन के तत्वाधान में काम करेगा जिसमें एक कोर कमिटी होगी तथा चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े वैश्विक विशेषज्ञों से निर्मित्त एक सलाहकार बोर्ड होगा। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय प्रतिनिधि अपने देशों में हितधारकों के साथ घनिष्ठतापूर्व मिल कर काम करेंगे।
श्री मोरांडी ने बताया कि हमारे संगठन का लक्ष्य उपचार दृष्टिकोण को समझने के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ सार्थक गठबंधन और सहयोग करना है। उनके संगठन का विजन अलग अलग नेटवर्कों के साथ संपर्क स्थापित करना है जिससे कि पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के उच्च मानकों को बना कर रखा जा सके और प्रभावी तथा व्यवहारिक अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को लागू किया जा सके।
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश अंतर्निहित आयुर्वेदिक का लाभ उठाने की है जिससे कि ऐसा बदलाव लाया जा सके जो उपचार के सभी पहलुओं को छूता है। उन्होंने बतलाया कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली रोग का उपचार करती है जबकि आयुर्वेद से जुड़ी चिकित्सा प्रणाली का जोर रोग होने ही न देना और रोग हो जाने की स्थिति में रोग को जड़ से समाप्त कर देने पर होता है।