आयुष क्लिनिक ने देहरादून में विश्व आयुर्वेद सम्मेलन स्थल पर निशुल्क परामर्श की पेशकश की
देहरादून / December 12, 2024
देहरादून, 12 दिसंबर : परेड ग्राउंड में आयजित किए जा रहे विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो के हिस्से के रूप में 15 दिसंबर की शाम तक निशुल्क चिकित्सा परामर्श की पेशकश करने के लिए आयुष क्लिनिक खोले गए।
आउट पैशेंट क्लिनिक का आयोजन उत्तराखंड सरकार के आयुष विभाग की एक सार्वजनिक लोकपहुंच पहल के तहत किया गया है।
आयुर्वेद, यूनानी एवं होमियोपैथी सहित आयुष की विभन्न प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 35 से अधिक चिकित्सकों की सेवाएं 15 दिसंबर तक इन क्लिनिकों में सुबह 9 बजे से सायं 5 बजे तक उपलब्ध हैं। मदरहुड आयुर्वेद मेडिकल कालेज, रूड़की के प्रोफेसर तथा इन क्लिनिकों के समन्वयक प्रोफेसर सुधीर शर्मा ने यह जानकारी दी।
इन क्लिनिकों में पंचकर्मा, मर्म चिकित्सा, नाड़ी रक्षा, नेत्र रोग, स्त्री प्रसूतिका, बाल रोग, स्वस्थ वृत, गेरियाटिक्स, नैचुरोपैथी तथा किचन फार्मेसी जैसे आयुर्वेद के कार्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
डा. शर्मा ने कहा कि इस पहल की बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखी जा रही है क्योंकि पहले ही दिन बड़ी संख्या में रोगियों की उपस्थिति देखी गई। इससे वेलनेस की आयुष प्रणालियों के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास की झलक मिलती है।
जिन मामलों में आरंभिक जांच के बाद विस्तारित उपचार और मेडिकल सुझाव की आवश्यकता पडेगी, उनके लिए टेलीफोन तथा मैसेजिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से फौलो-अप परामर्श सेवा प्रदान की जाएगी।
आम लोगों को क्लिनिक की दिशा में गाइड करने के लिए स्वयंसेवकों को नियुक्त किया गया है।
आयुर्वेदिक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, प्रशासकों, राजनयिकों, शिक्षकों तथा छात्रों का यह विज्ञान भारती द्वारा आयोजित सबसे बडा वैश्विक द्विवार्षिक सम्मेलन है जिसका आयोजन विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन द्वारा किया जाता है।
भारत के भीतर 5500 से अधिक प्रतिभागी इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं जिसमें 54 देशों के 350 प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
पूर्ण सत्रों के अतिरिक्त, इस सम्मेलन में 150 से अधिक वैज्ञानिक सत्र और 13 सहयोगी सत्र शामिल हैं।
अपने ‘ डिजिटल स्वस्थ्य , एक आयुर्वेद दृष्टिकोण ‘ की केंद्रीय थीम के साथ यह चार दिवसीय सम्मेलन नई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर विस्तार से चर्चा करने के लिए मंच उपलब्ध कराएगा ताकि अधिक प्रभावी तरीके से समाधान सुलभ कराया जा सके और आयुर्वेद से संबंधित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का नए सिरे से खाका प्रस्तुत किया सके।