टेक्सटाइल डिजाइनर की कलात्मकता: पूनम भटनागर का पहला सोलो शो शुक्रवार से दिल्ली में

New Delhi / April 8, 2024

नई दिल्ली, अप्रैल 8: पूनम भटनागर के चौबीस कैनवस इस शुक्रवार से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शित किए जाएंगे। ये पेंटिंग मुख्य रूप से टेक्सटाइल डिजाइन में प्रशिक्षित एक कलाकार की कैनवस पर ऐक्रेलिक से गहन जुड़ाव की व्यापक झलक दिखाती हैं।

ब्रश द्वारा खींची गईं सूक्ष्म रेखाएं और रंगों की सौम्य पैलेट का उपयोग करते हुए अद्वितीय चित्रण करने वाले चित्रों की पूनम की छह दिवसीय प्रदर्शनी 12 अप्रैल से बीकानेर हाउस में आयोजित की जाएगी। शो, 'बिटवीन ड्रीम्स', गहनता दर्शाने वाले बारीक से बारीक पहलुओं को उभारने वाले चित्रों को एक असली गुणवत्ता प्रदान करने की उनकी क्षमता पर प्रकाश डालता है।

प्रदर्शनी का उद्घाटन 12 अप्रैल की शाम को प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, कलाकार और लेखक मुजफ्फर अली करेंगे।

माशा आर्ट गैलरी की प्रदर्शनी को  प्रसिद्ध कला इतिहासकार और विद्वान उमा नायर ने क्यूरेट किया है। यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। रंगों के सौम्य मिश्रण से बनी पेंटिंग्स, विषयों के चयन और बड़े कैनवस पर उन्हें बनाने की वजह से विशिष्ट हैं। प्रदर्शनी को पांच भागों में विभाजित किया गया है: 'मिथोस', 'सिटीस्केप्स', 'वृक्ष' सीरीज, 'पोर्ट्रेट्स ओल्ड एंड न्यू' और 'शून्य।’

कुछ गूढ़हो जाने के बावजूद आकर्षक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, नाचते हुए शिव या वीणा बजाती हुई सरस्वती। यासमसामयिक समय को ध्यान में रखते हुए बनाई, एक हिंदी अभिनेत्री की मनमोहक मुस्कान, याबॉलीवुड से परे, पश्चिम के एक प्रसिद्ध शहर की झलक। दिल्ली में अपना पहला एकल शो प्रस्तुत करने वाली पूनम की रचनात्मकता ताज़े हवा के झोंके की तरह छूती है।

'बिटवीन ड्रीम्स' बीकानेर हाउस की पहली मंजिल पर ‘कलमकार’ में देखा जा सकता है।

मिथोस सीरीज ऐसी प्रतीत होती है मानो वे सुई-धागा का उपयोग कर बनाए चित्र हों, जबकि वे साथ-साथ चित्रों को त्रि-आयामी रूप भी देती लगती हैं। मकड़ी के जाल से प्रेरित होकर कलाकार ने अपनी अनूठी शैली को 'वेब कास्ट' नाम दिया है। पूनम, जो पहले ग्रुप प्रदर्शनियों में भाग ले चुकी हैं, कहती हैं,“दो साल से मैं इस शो की तैयारी कर रही हूं।”

पूनम की तकनीक के बारे में बताते हुए उमा नायरकहती हैं कि चित्रों को दूर से देखने से लगता है जैसे प्रभावी ढंग से कई परतें बन सकती हैं जो अपनी तरह का एक मायावीप्रभाव उत्पन्न करती हैं। वह आगे कहती हैं, "जब आप 'सिटीस्केप्स' या 'मिथोस' सीरीज देखते हैं, तो मैं 'भ्रम' या ‘माया’ शब्द का उपयोग करती हूं।"

माशा आर्ट के सीईओ समर्थ माथुर का कहना है कि यह शो अपने विशिष्ट विषयगत तत्वों के माध्यम से एक "मंत्रमुग्ध करने वाली यात्रा" पर ले जाने का वादा करता है। नई दिल्ली के ताज महल होटल में प्रमुख गैलरी रखने वाली माशा के मालिक ने कहा, "समस्त चित्र मिलकर, सावधानीपूर्वक तैयार की गई कलाकृतियों को प्रस्तुत करते हैं जो मूर्त परिदृश्यों और मनोरम चित्रों के साथ कल्पित क्षेत्रों को सहजता से मिश्रित करने की योग्यता रखते हैं।"

पूनम को बड़े कैनवस पर काम करना पसंद है। उदाहरण के लिए, जैसे सरस्वती की पेंटिंग है। कैनवास पर 6x4 फीट का यह चित्र विद्या की देवी को वीणा बजाते हुए ध्यान मुद्रा में दर्शाता है। ज्यामितीय रेखाएं और वर्ग (स्क्वेर), आपस में मिलती-जुलती लहरों के साथ, ध्यान में जाने जैसा प्रभाव पैदा करते हैं।

इसी तरह, 4.5x4 फीट के कैनवस पर बनाई गई उनकी 'शिव शक्ति' त्रि-आयामी प्रभाव डालती  है, क्योंकि ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज ज्यामितीय रेखाएं वर्गों और लहरोंमें समा जाती हैं, जो शिव और पार्वती की पेंटिंग को ब्रह्मांड की विशालता के बीच एक प्रेमपूर्ण मिलन की लौकिक गुणवत्ता प्रदान करती हैं। । वह आगे कहती हैं, "मैं छोटे कैनवस पर काम नहीं कर सकती, क्योंकि मेरे पास बताने और दिखाने के लिए बहुत कुछ है।"

पूनम की 'सिटीस्केप्स' में लंदन, वेनिस और ज्यूरिक जैसे विदेशी शहरों के अलावा हिमालयी लद्दाख और अन्य स्थानों के दर्शनीय स्थलों के उनके अनुभव शामिल हैं।5 x 7.75 फीट की

'ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट'पेंटिंग, दर्शकों को इमारतों, डबल-डेकर बसों और भीड़ के बीच लंदन के बीचोंबीच ले जाती है। अपने गोंडोला (एक प्रकार की हलकी नाव) और जलमार्गों के पास बने घरों के साथ उनका वेनिस उतना ही आकर्षक है जितना कि लद्दाख में एक पत्थर की विचित्र पुरानी इमारत तक ले जाती चौड़ी पत्थर की सीढ़ियां।

 अपनी ‘वृक्ष’ सीरीज में, पूनम ने अपनी जटिल शैली को ब्रश की सामान्य रेखाओं के साथ मिलाया है, जैसे 'बर्डसॉन्ग'। जो एक विचारोत्तेजक और सुकून देने वाला चित्र है जो ऊर्जा को ऊंचाई तक ले जाता है। 'सनराइज' और 'पाथवे' भी ऐसे ही हैं। उनकी 'पेंसिव पोर्ट्रेट' सीरीज में गुजरे जमाने की नायिकाओं मधुबाला, मीना कुमारी, सुचित्रा सेन और माधबी मुखर्जी के मंत्रमुग्ध कर देने वाले चित्र हैं। ज्यादातर काले और सफेद रंग में बनी वे पेंटिंग,संग्रह करने योग्य हैं।

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