24 कलाकारों द्वारा दिल्ली में विद्वान केशव मलिक को दी जाने वाली श्रद्धांजलि है iSculpt

New Delhi / December 4, 2023

नई दिल्ली, 4 दिसंबर: पेंटिंग के बारे में केशव मलिक की अनूठी टिप्पणियां और विवेचना कला के बारे में उनकी अंतर्दृष्टि को उजागर करती रहीं, लेकिन दिवंगत आलोचक मूर्तिकला के बारे में भी उतनी ही गहरी समझ रखते थे। उनकी कला और विद्वता का अभिनंदन करने के लिए, उनकी जन्म शताब्दी के जश्न के रूप में आयोजित कार्यक्रम में आधुनिक कलाकारों द्वारा गढ़ी दो दर्जन कृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं।

15 दिनों तक चलने वाला iSculpt (आईस्कल्पट) इस गुरुवार से राष्ट्रीय राजधानी में शुरू होने वाला है। मलिक (1924-2014) को श्रद्धांजलि देने के लिए इसमें लगभग 23 मूर्तिकार अपनी उत्कृष्ट कृतियों का प्रदर्शन करेंगे।

7 से 21 दिसंबर तक चलने वाले इस उत्सव में, जो स्थापित नामों और उभरते कलाकारों, दोनों की ही रचनात्मकता को प्रदर्शित करेगा, (डीएएस) इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) के सहयोग से, दिल्ली आर्ट सोसाइटी द्वारा आयोजित किया जा रहा है। कला इतिहासकार उमा नायर आईस्कल्प्ट की क्यूरेटर हैं, जिसका औपचारिक उद्घाटन फैशन डिजाइनर रितु बेरी और स्किन स्पेशलिस्ट-कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सिमल सोइन द्वारा आईआईसी के सिल्वन परिसर में किया जाएगा।

प्रसिद्ध मूर्तिकारों में अमर नाथ सहगल, सतीश गुप्ता और हिम्मत शाह के अतिरिक्त डीएएस अध्यक्ष नीरज गुप्ता भी शामिल हैं, जिनकी आईस्कल्प्ट के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका है।  दो महिलाएं भी हैं: सोनिया सरीन और दिवंगत रिनी धूमल। ये कृतियां लकड़ी, पत्थर, धातु और टेराकोटा की हैं।

अन्य मूर्तिकार हैं जी रेघू, अरुण पंडित, बिमान दास, धनंजय सिंह, हर्ष दुरूगड्डा, एस.डी. हरिप्रसाद, प्रमोद मान, राजेश राम, निमेश पिल्ला, फणीन्द्रनाथ चतुर्वेदी, मुजफ्फर अली, एन.एस. राणा, अंकोन मित्रा, विपुल कुमार, सतीश गुजराल, राम कुमार मन्ना और भोला कुमार। इसके अलावा युवा फोटोग्राफर मनोज अरोड़ा अपने नौ मोनोक्रोम के चुनिंदा सेट को भी प्रदर्शित करेंगे। उमा कहती हैं, ''मलिक फोटोग्राफी के बहुत बड़े प्रशंसक थे, खासकर मोनोक्रोम के।''

उद्घाटन समारोह शाम 5 बजे प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना गीताचंद्रन के आह्वान के साथ शुरू होगा। शो में दो प्रमुख मूर्तियों के बीच खुद खड़े होते हुए वह यह आह्वान करेंगी। समारोह में iSculpt के प्रतिभागियों सहित विजुअल आर्टिस्ट भी अपनी उपस्थित दर्ज करेंगे। आईआईसी के तालाब किनारे बने गांधी किंग प्लाजा और क्वाड्रैंगल गार्डन में शो सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहेगा। प्रवेश निःशुल्क है।

उमा नायर का कहना है कि दिल्ली निवासी मलिक यूरोप के दिग्गज-मूर्तिकारों के "महान प्रशंसक" थे। “उनकी अवधारणाओं ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। फिर भी, उन्हें ऐसे भारतीय मूर्तिकारों की खोज करना पसंद था जो हमारे दर्शन की जड़ों में गहराई से उतरे थे,” वह 1950 के दशक के दौरान इटली और फ्रांस में मलिक के शोध करने के दौरान बिताए गए वर्षों को याद करते हुए कहती हैं।

नीरज गुप्ता के अनुसार, डीएएस दिल्ली में अर्थपूर्ण सार्वजनिक कला के महत्व को दोहराना चाहता है। मलिक द्वारा 2005 में अपनी बहन डॉ. कपिला वात्सायन (1928-2020) के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद इसकी स्थापना करने के बाद अब एक दशक से उनके नेतृत्व में, मुख्य रूप से आईआईसी के सहयोग से डीएएस कई प्रदर्शनियों और सेमिनारों का आयोजन कर रहा है।

गुप्ता बताते हैं, "इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर अर्थपूर्ण मूर्तियां बनाने की क्षमता वाले कलाकारों की भावी पीढ़ियों को तैयार करने का भी था। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए, मकराना (मध्य राजस्थान में) में मेरा स्टूडियो बड़े पैमाने पर कलाकारों की मदद कर रहा है।"

आईस्कल्प्ट की क्यूरेटर उमा कहती हैं कि नीरज देश में सार्वजनिक कला प्रतिष्ठानों के लिए किसी विशिष्ट व्यक्ति से कम नहीं हैं। ''बर्तनों के साथ उनकी बहुप्रशंसित हाथी की मूर्ति भारत कला मेला (इंडिया आर्ट फेयर) 2023 का हिस्सा थी।''  उमा ने 2023 की शुरुआत राजधानी के बीकानेर हाउस में मूर्तिकला पार्क के क्यूरेटर के रूप में की थी और अब इसे आईआईसी में iSculpt के साथ समाप्त कर रही हैं।

मलिक ने दशकों तक प्रमुख समाचार पत्रों के कला पृष्ठों में नियमित रूप से लिखा है और साहित्यिक साप्ताहिक ‘थॉट’ के संपादक रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी (नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट) के सलाहकार और समान रूप से प्रतिष्ठित ललित कला अकादमी के कार्यकारी सदस्य के रूप में भी काम करते हुए देश और विदेश में विभिन्न कला प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया।

इस सप्ताहांत, कवि-दार्शनिक डॉ. करण सिंह औपचारिक रूप से iSculpt कैटलॉग का विमोचन करेंगे। 60 पेज का डीएएस प्रकाशन, जिसे डिजाइनर मुकेश मिश्रा ने उमा नायर के साथ मिलकर तैयार किया है, 108artprojects.com के तरूण खन्ना द्वारा प्रायोजित है।

मलिक, जो अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में अपने मूल गांव मियांई से 600 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित दिल्ली में आ गए थे, कविताएं लिखी हैं जो 18 खंडों में हैं। विजुअल आर्ट से जुड़े रहते हुए भी, उन्होंने पोएट्री सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के सह-स्थापना की भूमिका निभाई और पोएट्री क्लब ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे।

Photo Gallery

+
Content
+
Content
+
Content
+
Content