डेक्कन से दिल्ली: अर्पिता रेड्डी की भित्ति-शैली की पेंटिंग 18 से 25 अक्टूबर तक प्रदर्शन

New Delhi / October 16, 2023

नई दिल्ली16 अक्टूबर: अर्पिता रेड्डी द्वारा "मॉर्डन म्यूरल्स” (आधुनिक भित्ति-चित्र) की आठ दिवसीय प्रदर्शनी इस बुधवार से राजधानी में शुरू होने वाली है। यह हिंदू पौराणिक कथाओं के चुनिंदा कथानकों और आकृतियों को एक नया रूप देते हुए उपमहाद्वीप के प्राचीन भित्ति-चित्रों के सौंदर्यशास्त्र को आगे ले जाने का प्रयास है।

बीकानेर हाउस में 18 से 25 अक्टूबर तक चलने वाले इस एकल शो में हैदराबाद स्थित चित्रकार द्वारा प्रयोग किए गए प्रतीकों और तत्वों को इस तरह से दर्शाया गया है कि वे प्रमुख अनुष्ठानों और देवी-देवताओं को चित्रित करने की पौराणिक शैली को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करते हैं। ‘विश्वात्मा’ नामक आयोजन की क्यूरेटर, आर्ट हिस्टोरियन उमा नायर,के अनुसार इसमें प्रदर्शित 50 से अधिक कृतियां देश की पौराणिक कथाओं के महत्व और श्रेष्ठता को दर्शाती हैं।

शो के उद्घाटन में कुचिपुड़ी के प्रतिपादक राजा, राधा और कौशल्या रेड्डी मुख्य अतिथि होंगे।

प्रदर्शनी की शुरुआत में, 16 कार्यों की एक श्रृंखला है जो प्रभावी रूप से विलक्षण और कुतूहल जगाने वाले ‘नामम’ प्रतीकों का अध्ययन है। विभिन्न रंगों में रंगी, उनकी यह श्रृंखला माथे की शोभा बढ़ाने वाले तिलक की ऊर्जा को दर्शाता है।

इस भाग की सृष्टि पिछले दशक के दौरान तब हुई जब अर्पिता आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में दर्शन करने गई थीं। उस समय वह मंदिर के देवता, भगवान विष्णु के अवतार, वेंकटेश्वर के माथे पर ‘नामम’ को देखकर चकित रह गई थीं और उसी क्षण उसके आकर्षण में बंध गई थीं।
 

हैदराबाद में जेएनएफएयू कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की पूर्व छात्रा, कलाकार अर्पिता का कहना है, “जुलूस में चल रहे एक हाथी ने मुझे ‘नामम’ श्रृंखला बनाने के लिए प्रेरित किया।” उन्होंने तीर्थ शहर गुरुवयूर में केरल की मंदिर भित्ति-शैली में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने बताया, “तिलक की छवि मेरे दिमाग पर छा गई। विष्णु नामम आमतौर पर एक नुकीला यू या वी आकार जैसा होता है, लेकिन यहां हाथी के माथे की रूपरेखा से लिपटा हुआ एक सुंदर घुमावदार आकार था। यह हाथियों की  भक्ति का एक तरह से मूर्त रूप बन गया, जो शाम को होने वाले मंदिर के उत्सव के दौरान निरंतर जुलूस का नेतृत्व करते हैं।”

 

मुख्य गैलरी में बीकानेर हाउस के आयोजन स्थल पर, 15 चित्रों का दूसरा सेट ‘सुमंगल’ नामक शुभ प्रतीकों का एक संयोजन होगा। इनमें कमल, शंख, चक्र, सूर्य और चंद्रमा जैसे प्रतीकों के बारीक से बारीक विवरण का खुलासा किया गया है, जो अर्पिता की श्रेष्ठ शैली को प्रदर्शित करता है, जिन्होंने 14 साल पहले भोपाल के हमीदिया कॉलेज से ड्राइंग और पेंटिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की थी और 1996 में हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया था।

तीसरा संयोजन प्रसिद्ध दशावतार होगा, जो कथन की शास्त्रीय शैली का अनुसरण करते हुए पात्रों की समकालीन कोरियोग्राफी और तत्वों की सजावट के साथ 10 चित्रों की एक श्रृंखला है।

विलक्षण रूप से किए अध्ययनों की एक श्रृंखला भी प्रदर्शित की जाएगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है पंचमुखी गणेश। इसके अलावा कुछ आलंकारिक चित्र भी हैं जो त्रिशूर के पास स्थित गुरुवयूर में कृष्ण मंदिर में बने भित्ति-चित्रों की परंपरा का गुणगान करते हैं।

उमा नायर के लिए, प्रदर्शनी की पहचान पौराणिक कथाओं और छोटे-छोटे विशेषणों को दर्शाती है, यहां तक कि मानवीय अनुभव फूलों और विभिन्न रंगों के अन्य तत्वों के प्रतीकवाद के साथ होड़ करते प्रतीत होते हैं। वह कहती हैं, “अर्पिता की कल्पना किनारी (बॉर्डर) और विभिन्न प्रकार के कपड़ों  (टेक्सटाइल एलीमेंट) से युक्त है जो आंध्र की कलमकारी की तकनीकों और दक्कन की पुरानी वस्त्र  और हथकरघा परंपराओं के प्रति उनके लगाव को प्रकट करती है। "बॉर्डर, फूलों और आकृतियों के अलंकरण की बारीकी और अलंकरण, भित्ति परंपराओं की कहानी सुनाते प्रतीत होते हैं,  जो उन्हें समकालीन संवेदनाओं के अनुरूप भी एक नया रूप देते हैं।

कॉलेज के छात्रों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से, शो में क्यूरेटर द्वारा कला संग्रह प्रबंधकीय पर भी बातचीत होगी।

अर्पिता की कला दो दशकों से पट्टचित्र, फड़, थंगल, चेरियल, तंजौर और कलमकारी सहित कई पारंपरिक कला-रूपों में अपने अनुभव को मिश्रित करना चाहती है। कई सम्मान और पुरस्कारों की विजेता अर्पिता ने देश और विदेश के प्रमुख शहरों में अपने चित्र प्रदर्शित किए हैं।

उमा नायर, दिल्ली स्थित एक प्रख्यात कला समीक्षक के रूप में, तीन दशकों से अधिक समय से दुनिया भर के प्रमुख कलाकारों पर लिख रही हैं।

 

 

 

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