2025 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना होकर 14 अरब डॉलर हो जाएगा: मंत्री

वाणिज्य और उद्योग मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आईआईएसएस 2023 का उद्घाटन किया
Kolkata / February 15, 2023

कोलकाता, 15 फरवरी: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रियापटेल ने आज कहा भारत का समुद्री खाद्य (सीफूड) निर्यात से इस क्षेत्र मेंतीन प्रतिशत की निरंतर वार्षिक वृद्धि केसाथ2025 तक अपनी आय को दोगुना करके 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का लक्ष्यबना रहाहै। 

 देश ने 2021-22 के दौरान 1.36 मिलियन मीट्रिक टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया, जिससे 7.76 बिलियन डॉलरका अब तक का रिकॉर्ड बनाया। कोलकाता में इंडिया इंटरनेशनल सीफूड शो (आईआईएसएस) के 23वें संस्करण का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा, "अब से दो साल में, हम 14 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है।" 

 इसबात की ओर ध्यान दिलाते हुए कि भारत पहले से ही दुनिया के प्रमुख पांचसमुद्री खाद्य-निर्यातक देशों में से एक है, मंत्री ने कहा कि देश के कृषिनिर्यात में 17 प्रतिशत मछली और संबंधित उत्पाद शामिल हैं। "हम दुनिया केतीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक, दूसरे सबसे बड़े जलकृषि उत्पादक और चौथेसबसे बड़े समुद्री खाद्य निर्यातक हैं," उन्होंने समुद्री उत्पाद निर्यातविकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) द्वारा भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (एसईएआई) के सहयोग से आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम के शुरू होनेके दौरान बताया। 

 

 महामारीके बाद समुद्री खाद्य निर्यात में तेजी हासिल करने का सरकार के जोरदारप्रयास के बीच समुद्री क्षेत्र में यह द्विवार्षिक उत्कृष्ट और प्रशंसायोग्य कार्यक्रम, विभिन्न उद्योग हितधारकों को व्यावसायिक सौदे करने, नएसंपर्क स्थापित करने, बाजार में व्याप्त प्रणालियों का लाभ उठाने औरवैश्विक बाजार में नई तकनीकों और उत्पादों को पेश करने के लिए एक ठोस मंचप्रदान करेगा। 

 केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषितमहत्वपूर्ण श्रिम्प /मछली फ़ीड (भोजन) सामग्री के आयात पर शुल्क रियायतोंपर ध्यान दिलाते हुए, उन्होंने देश के जलकृषि से जुड़े किसानों और पूरेक्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए सरकार के उपायों पर प्रकाश डाला। कुललागत पर बचत के मामले में जलकृषि से जुड़े किसानों की कमाई पर एक ‘अच्छाप्रभाव’ पड़ेगा, इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "हमने फिश मील (भोजन) /क्रिल्ल मील और विटामिन प्रीमिक्स के लिए आयात शुल्क को 15 फीसदीसे घटाकर 5 फीसदी कर दिया है, जबकि फिश लिपिड ऑयल और एल्गल प्राइम के लिएशुल्क आधा कर 15 फीसदी कर दिया गया है।" 

 आरओडीटीईपी (निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट) के बारे में, मंत्री ने कहाकि प्रमुख निर्यात प्रोत्साहन योजना ने अधिकांश निर्यात योग्य मत्स्यउत्पादों के लिए इसकी दर और सीमा दोनों में एक अनुकूल संशोधन किया है।सरकार ने फ्रोजन श्रिम्प के लिए आरओडीटीईपी दर और अधिकतम सीमा, क्रमशः 2.5 से 3.1 प्रतिशत और 16 रुपये से 42 रुपये बढ़ाया है, जिससे देश को सबसेज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।

 भारत मेंमत्स्य क्षेत्र के चिरस्थायी और जिम्मेदार विकास के माध्यम से "नीलीक्रांति" (ब्लू रेवेल्यूशन) लाने में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराते हुए, उन्होंने कहा कि 2020 में 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू की गई यह योजना  देश कीसमुद्री उत्पादन क्षमता, उत्पादकता, आधिक्य, विविधीकरण, खेती और निर्यात केतहत क्षेत्र के उत्पादक उपयोग में वृद्धि करेगी। 

 भारत की G-20 प्रेसीडेंसी के सिलसिले में चल रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत सरकार एक विशेष सत्र आयोजित करेगी। 

उन्होंनेबताया, "एमपीईडीए इस साल की दूसरी छमाही में दिल्ली में G-20 देशों के बीचसमुद्री खाद्य नियामक सामंजस्य पर एक सम्मेलन भी आयोजित करेगा।" राष्ट्रीयराजधानी में इस वर्ष समुद्री उत्पादों के प्रमुख 20 बाजारों (जी-20 देशोंसहित) के राजदूतों को आमंत्रित करते हुए एक 'फिश फूड फेस्टिवल' भी आयोजितकिया जाएगा। 

 इसके अलावा, एमपीईडीए देश के समुद्री खाद्य उद्योग में संपूर्ण मूल्य श्रृंखला मेंहितधारकों को एक साथ लाने और उन्हें व्यापार विनियमों और निर्यात संभावनाओंसे अवगत कराने के लिए एक 'श्रिम्प कांफ्रेंस' आयोजित करेगा।  

 यहसुनिश्चित करने के लिए कि भारत की श्रिम्प की खेप रोगजनक मुक्त है, एमपीईडीए की एक शोध इकाई, राजीव गांधी जलकृषि केंद्र (आरजीसीए) ने देश मेंपहली बार चेन्नई में आयातित ‘एल वन्नामेई श्रिम्प’ के ब्रूड स्टॉक की जांचके लिए एक केंद्रीय संगरोध केंद्र स्थापित किया गया है। यह विशाखापत्तनममें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से विकसित टाइगर श्रिम्प की किस्म का एकब्रूड स्टॉक गुणन केंद्र (ब्रूड स्टॉक मल्टीप्लीकेशन सेंटर-बीएमसी) भीस्थापित कर रहा है।

 राज्यके पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रदीप मजूमदार ने कहा कि राज्यकी वार्षिक आवश्यकता 19.2 लाख मीट्रिक टन है, पर राज्य 1.96 लाख मीट्रिक टनसीफूड का उत्पादन करता है। "हमें इस अंतर को पाटने की जरूरत है," यह कहतेहुए उन्होंने उम्मीद जताई कि आईआईएसएस 2023 इस क्षेत्र में हितधारकों कोप्रोत्साहित करेगा और उन्हें पश्चिम बंगाल को पसंदीदा गंतव्य के रूप मेंचुनने के लिए प्रेरित करेगा। 

 पश्चिमबंगाल के मत्स्य राज्य मंत्री श्री बिप्लब रॉय चौधरी ने कहा कि तीन दिवसीयआयोजन में क्रेता-विक्रेता के आने से समुद्री खाद्य क्षेत्र को बढ़ावामिलेगा, खासकर देश के पूर्वी तट को इसका लाभ मिलेगा। 

 केंद्रीय वाणिज्य विभाग केअपरसचिव, आईएएस, श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत को एक दशक के समय में दुनिया केसमुद्री खाद्य उत्पादन में 10 प्रतिशत के अपने योगदान को दोगुना करने काप्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, "इस तरह की सोच से लाखों नौकरियां पैदाहो सकती हैं, जिससे देश के जलकृषि से जुड़े किसानों की आजीविका का स्तर बढ़सकता है।"

 

एसईएआई केराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदीश फोफंडी ने सरकार से रूस और सऊदी अरब जैसे "मित्र" देशों के साथ वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने के अलावा यूरोपीयसंघ और ब्रिटेन के देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के लिए भारत केप्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, इसके अलावा, प्रक्रियाओं में "न्यूनतम" नियंत्रण और विनियम, व्यवसाय को सुगम बना सकताहै। 

 उपस्थित लोगों कास्वागत करते हुए, एमपीईडीए के अध्यक्ष श्री डोड्डा वेंकट स्वामी ने भारत केसमुद्री खाद्य क्षेत्र के विकास में राज्यों की "महत्वपूर्ण भूमिका" परप्रकाश डाला। एसईएआई के अध्यक्ष (पश्चिम बंगाल क्षेत्र) श्री राजर्षिबनर्जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 आईआईएसएस 2023 के साथ G20 देशों को अहमियत देते हुए एक अंतरराष्ट्रीयक्रेता-विक्रेता बैठक आयोजित की जाएगी। समुद्री खाद्य उद्योग में होने वालेविभिन्न विकास कार्यों पर एक तकनीकी सत्र और G20 देशों पर एक विशेष तकनीकीसत्र भी इस सम्मेलन में आयोजित किया जाएगा। इसके साथ-साथ, निर्माता औरआपूर्तिकर्ता अपनी प्रसंस्करण मशीनरी, पैकेजिंग प्रणाली, प्रसंस्करणसामग्री और कोल्ड चेन प्रणाली प्रदर्शित करेंगे और व्यापारिक सौदा  करेंगे।

 इसआयोजन में 7,000 वर्गमीटर में फैले 350 से अधिक स्टॉल हैं, जो मूल्य वर्धनके लिए स्वचालित और आईटी(सूचना प्रौद्योगिकी)-समर्थित प्रौद्योगिकी औरऊर्जा- कुशलप्रणालियों पर आधारित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करते हैं।

भारत और विदेश के 5,000 से अधिक प्रतिनिधि इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

 

 

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