केरल अब केवल अपनी उपलब्धियों के भरोसे नहीं रह सकता, राज्य को अपनी उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने की जरूरत है: थरूर

थरूर ने मातृभूमि की "100 भाषण श्रृंखला" में समापन भाषण दिया
New Delhi / February 1, 2023

नई दिल्ली, 1 फरवरी: गॉड्स ओन कंट्री’को नए सिरे से दुनिया के सामने पेश करने पर सावधानी के साथ आशावाद को बनाए रखते हुए, कांग्रेस नेता डॉ. शशि थरूर ने उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिन पर 'उल्लेखनीय परिवर्तन' शुरू करने से पहले केरल की उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

डॉ. थरूर ने भारत के प्रमुख मीडिया समूह में से एक, मातृभूमि द्वारा अपने शताब्दी वर्ष को मनाने  के लिए आयोजित "100 भाषण श्रृंखला" के समापन भाषण में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “मलयाली चमत्कार'' हमेशा से कायम था, लेकिन आज इसे और भी सक्रिय करने की आवश्यकता है।

2फरवरी को तिरुवनंतपुरम में शुरू होने वाले मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (एमबीएफआईएल) के चौथे संस्करण के साथ-साथ श्रृंखला का यह अंतिम भाषणभी लोगों को सुनने को मिला।

तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, केरल ने 94 प्रतिशत से अधिक की साक्षरता दर सहित दशकों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैजो पूरे संयुक्त राज्य (79 प्रतिशत) से बहुत आगे है। इसके अलावा, यह उन कुछ भारतीय राज्यों में से एक हैजिन्होंने अपनी जाति-उन्मुख संस्कृति में व्यापक परिवर्तन लाने के अलावाभूमि सुधारों की शुरुआत की।

उन्होंने कहा, "कई लोग नहीं जानते होंगे कि स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील)1830 के दशक में केरल में मौजूद थी, जिसकी शुरुआत संत कुरियाक्कोस एलियास चावरा ने की थी।"

इसकी समावेशिता और खुलेपन की विरासत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के जातीय समूहों ने सदियों से केरल को अपना घर बनाया है, चाहे वह यहूदी हों, मुस्लिम हों, ईसाई हों या हिंदू।

उन्होंने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि अपने आकर्षक इतिहास और संस्कृति और उल्लेखनीय सामाजिक प्रगति के बावजूद, आजकेरल को एक अप्रिय उपनाम के लिए भी जाना जाता है - "डेविल्स ओन बैकयार्ड" - जो मुख्य रूप से इसके निवेशक संरक्षण में पिछड़ने और सुगमता से कारोबार करने में पीछे रहने के अपने निराशाजनक प्रदर्शन से उपजा है।

राज्य में अचानक होने वाली हड़तालें और अपनी मांगे मनवाने के लिए दिए जाने वाले धरने और हड़तालें अभी भी होती हैं और ऐसे गंभीर समय में अपना सिर उठाती हैंकि व्यापार की स्थितियां को वे प्रतिकूल बना देती है।

डॉ. थरूर ने कहा, ऐसे समय में जब विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारत का सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उल्लेख किया है, केरल को इन उम्मीदों पर भी खरा उतरने की जरूरत है, ।

जहां तक बेरोजगारी का अनुपात है, यह दूसरा सबसे खराब राज्य है, एकमात्र अपवाद जम्मू और कश्मीर हैजिसमें शीर्ष स्थान के लिए संदिग्ध अंतर है, उन्होंने कहा।

यह एक निराशाजनक स्थिति है जहां कुशल लोगों को बेरोजगार रखा जाता है। विदेशों से आने वाली रकम का धीरे-धीरे कम होना, जो कभी राज्य की अर्थव्यवस्था की ताकत हुआ करती थी, के कारण संकट और भी विकट होता जा रहा है।

डॉ थरूर ने सवाल किया, "लाखों मलयाली वापस आ रहे हैं और क्या हमारे पास पर्याप्त काम है जिससे वे राज्य की अर्थव्यवस्था में समाहित हो जाएं जो बिना धन भुगतान किए चरमरा सकती है?"

दूसरी तरफ, एक ''वास्तविक जनसांख्यिकीय असंतुलन'' हैक्योंकि कई युवा अभी भी लगातार अधिक अनुकूल और लाभकारी स्थानों के लिए राज्य छोड़ रहे हैं। केरल में युवाओं की ''उत्पादक पीढ़ी'' गायब है। डॉ. थरूर ने कहा कि बेहतरीन क्षमता होने के बावजूद राज्य आईटी क्षेत्र में भी पिछड़ रहा है।

उन्होंने कहा सकारात्मक पहलू यह है कि अब केरल के निवेश संवर्धन और सुविधाओं में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान के हिस्से के रूप में नियामक मंजूरी, वित्तीय पैकेज, और महिलाओं और स्टार्ट-अप को विशेष सहायता देकर निवेशकों और उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण शुरू करने के लिए तैयार है।

केरल की सकल राज्य घरेलू उत्पाद की उच्च विकास दर राजस्व प्राप्ति में आनुपातिक वृद्धि के साथ नहीं है। यह देखते हुए कि केरल एक ऐसा राज्य है जहां भूमि कम है, एक प्रमुख क्षेत्र जो अछूता रहा है वह है भूमि राजस्व क्षमता। जबकि अधिकांश राज्यों के लिएभूमि राजस्व कुल राजस्व का लगभग एक तिहाई है, केरल के लिए यह आंकड़ा लगभग 13-15% है। उन्होंने कहा कि केरल के कर  (टैक्स) राजस्व पर अगर नज़र डालें तो वह इसके वर्षों से दयनीय प्रदर्शन को दर्शाता है।

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